परसत धरनि सरस सोहराइल सघन रसाल की  छाँव रे
कोकिल कीर मधुर सुर कूँजत कागा करै काँव-काँव रे ।
तँह विधुबदनी बइसि बतियावैं टेरि परसपर नाँव रे
सरगो के सखि ललचावै सलोना सबसे सुघर मोर गाँव रे ॥


अलिदल नलिनीं झुलावैं री आली निरखु तलइया ।
घनि बँसवरिया में पुरुबी बयरिया
रसे रसे बँसुरी बजावै री आली, निरखु तलइया ।
सर बर तरुनी नयन दुइ मछरी
कमल कै हथवा हिलावैं री आली, निरखु तलइया ।
मोजरल अमवा पियरि सरसोइया
फुलल परसवा बोलावै री आली, निरखु तलइया ।
अलिदल नलिनीं झुलावैं री आली निरखु तलइया


मोरी सहेलिया रे,
गउवैं खातिर छछनै मोर परान मोरी सहेलिया रे ।

खरी जिउतिया भुखैं मतरिया,
ननदो करैं ओसार अगोरिया – मोरी सहेलिया रे
पंडित भोरे भरैं भैरवीतान, मोरी सहेलिया रे –
गउवैं खातिर छछनै मोर परान मोरी सहेलिया रे ।


नाउन धोबिन धनि मलिहोरी,
पावैं पहुरा खोरिन खोरी – मोरी सहेलिया रे
स्वाती चितरा लहरैं गोइड़ै धान, मोरी सहेलिया रे –
गउवैं खातिर छछनै मोर परान मोरी सहेलिया रे ।

कतहूँ बरगद तर चौपाला,
कतहूँ बजै ढोल पर आल्हा – मोरी सहेलिया रे
कतहूँ बिरहा गावैं ग्वाला रेखभिनान, मोरी सहेलिया रे –
गउवैं खातिर छछनै मोर परान मोरी सहेलिया रे ।


जुग-जुग जीयै सखी मोर गउवाँ ।

कचरस सोन्ह करहवा कै खुरचन
लिटका लटीयै सखी मोर गउवाँ –
जुग-जुग जीयै सखी मोर गऊवाँ ।

बुढ़-ठेल तिरिया ओसरिया में ओठघल
लेवन सीयैं सखी मोर गउवाँ –
जुग-जुग जीयै सखी मोर गऊवाँ ।


गउवाँ इन्नर की रजधानी अखियाँ लखि ललचानी ना ।

दादुर मोर पपीहरा बोलै ओनवल घटा सुहानी ना
मड़इन लतर ललित अरुझानी, अखियाँ लखि ललचानी ना ।

सम्मय, बरम्ह, दइतरा, काली, भैरव की डिहवानी ना
माई सुघर मनौती मानी अखियाँ लखि ललचानी ना ।

ओक्का-बोक्का तीन तलौका, ’पंकिल’ गढ़ैं कहानी ना
सोहर गावैं धिया चुल्हानी, अँखिया लखि ललचानी ना ।

Last Update: April 11, 2024