इस ब्लॉग पर वह सभी रचनाएं पढ़ी जा सकती हैं जो हिन्दी ब्लॉगिंग के शुरुआती दिनों में विभिन्न पोर्टल्स पर प्रकाशित की गईं। बाद में ‘अखिलं मधुरम्’ नाम से स्वयं का एक ब्लॉग बना और रचनाएं आती गईं। वह रचनाएं भी यहाँ संग्रहीत हैं।

कालांतर में रम्यान्तर के कस्टम डोमेन पर यह ब्लॉग आया और पंकिल बना। यहाँ मेरी सभी यत्र-तत्र प्रकाशित रचनाएं प्रकाशित हैं। पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाएं भी यहीं सहेजने का उपक्रम है।

Udadhi Ka Parichay

जिन खोजा तिन पाइयाँ..

Poetic Hindi Translation of Tagore’s Gitanjali


The song that I came to sing remains
unsung to this day.
I have spent my days in stringing and
in unstringing my instrument.

गाने आया जो अनगाया है अब तक वो गीत रे
वीण खोलते कसते वासर गये अमोलक बीत रे।