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O Majhi Re: Dipankar Das nSource: Flickr |
nमाझी रे! कौने जतन जैहौं पार।
nजीरन नइया अबुध खेवइया
nटूट गए पतवार-
nमाझी रे! कौने जतन जैहौं पार।
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nमाझी रे! ढार न अँसुवन धार।
nदरियादिल है ऊपर वाला
nसाहेब खेवनहार! माझी रे!
nरामजी करीहैं बेड़ापार।
nमाझी रे! कौने जतन जैहौं पार।
n
n
nबीच भँवर खाती हिंचकोले
nझाँझरी नइया डगमग डोले
nउलटी बहत बयार, माझी रे!
nनइया फँसी मझधार।
nमाझी रे! कौने जतन जैहौं पार।
n
nबन जा उसके पथ का राही
nउहवाँ नाहीं, नाहीं नाहीं
nजिसने अजामिल ऋषितिय तारी
nतोहरो सुनिहैं पुकार, माझी रे!
nपंकिल ना डुबिहैं बीचे धार।
nमाझी रे! कौने जतन जैहौं पार।
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