आशा है स्नेह बनाए रखेंगे

‘बावरिया बरसाने वाली’ के अभी सैकड़ों छंद यहाँ नहीं आए हैं। इस ब्लॉग की प्रविष्टियों को पढ़कर सम्मानित गजलकार ‘द्विजेन्द्र द्विज जी‘ ने इनमें रूचि दिखाई। बाद में उनकी प्रेरणा से पिता जी की यह काव्य रचना पूर्णतः ‘कविता कोष’ में सम्मिलित करने के लिए स्वीकृत हो गई और अब वहाँ संपूर्णतः उपलब्ध है । अतः अब इस रचना की प्रविष्टियां यहीं रोककर पिताजी की अन्य रचनाएँ यहाँ प्रस्तुत करूंगा। उनमें कुछ अनुवाद भी हैं जो पिता जी ने संस्कृत,अंग्रेजी आदि भाषा की रचनाओं के किए हैं । गुरुदेव ‘टैगोर’ की ‘गीतांजलि’ के अनुवाद मैं पहले ही अपने चिट्ठे सच्चा शरणम् पर प्रस्तुत कर चुका हूँ। आशा है स्नेह बनाए रखेंगे। सच्चा शरणम पर प्रस्तुत गीतांजलि के अनुवादों की सभी प्रविष्टियाँ यहाँ देखी जा सकती हैं –

गीतांजलि के काव्यानुवाद

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