मुरली तेरा मुरलीधर 36
कोना कोना प्रियतम का जाना पहचाना है मधुकर इठलाता अटपटा विविध विधि आ दुलरा जाता निर्झर शब्द रूप रस स्पर्श गन्ध की मृदुला बाँहों में कस कस ...
कोना कोना प्रियतम का जाना पहचाना है मधुकर इठलाता अटपटा विविध विधि आ दुलरा जाता निर्झर शब्द रूप रस स्पर्श गन्ध की मृदुला बाँहों में कस कस ...
चिर विछोह की अंतहीन तिमिरावृत रजनी में मधुकर, फिरा बहुत बावरे अभीं भी अंतर्मंथन कर निर्झर सुन रुनझुन जागृति का नूपुर खनकाता वह महापुरुष ट...
सुन अनजान प्राणतट का मोहाकुल आवाहन मधुकर रस सागर की तड़प भरी सब चाहें ममतायें निर्झर स्मरण कराता जन्म जन्म के लिये दिये अनगिन चुम्बन टेर र...
बिक जा बिन माँगे मन चाहा मोल चुका देता मधुकर जगत छोड़ देता वह आ जीवन नैया खेता निर्झर कठिन कुसमय शमित कर तेरा आ खटकाता दरवाजा टेर रहा है प...
अपने ही लय में तेरा लय मिला मिला गाता मधुकर अक्षत जागृति कवच पिन्हा कर गुरु अभियान चयन निर्झर तुमको निज अनन्त वैभव की सर्वस्वामिनी बना बना...
बार बार पथ घेर घेर वह टेर टेर तुमको मधुकर तेरे रंग महल का कोना कोना कर रसमय निर्झर सारा संयम शील हटाकर सटा वक्ष से वक्षस्थल टेर रहा है ह...
ज्यों तारक जल जल करते हैं धरती को शीतल मधुकर नीर स्वयं जल जल रखता है यथा सुरक्षित पय निर्झर वैसे ही मिट मिट प्रियतम को सत्व समर्पण कर पंकि...