सच्चा लहरी : तीन
तेरे चारों ओर वही कर रहा भ्रमण है खुले द्वार हों तो प्रविष्ट होता तत्क्षण है उसकी बदली उमड़ घुमड़ रस बरसाती है जन्म-जन्म की रीती झोल...
तेरे चारों ओर वही कर रहा भ्रमण है खुले द्वार हों तो प्रविष्ट होता तत्क्षण है उसकी बदली उमड़ घुमड़ रस बरसाती है जन्म-जन्म की रीती झोल...