मुझे पाती लिखना सिखला दो…

मुझे पाती लिखना सिखला दो हे प्रभु नयनों के पानी से ।
nबतला दो कैसे शुरू करुंगा किसकी राम कहानी से ।।
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nघोलूँगा कौन रंग की स्याही, किस टहनी की बने कलम
nहै कौन कला जिससे पिघला, करते हो लीलामय प्रियतम,
nहे प्रभु तुम प्रकट हुआ करते हो, किस मनभावनि वाणी से-
nमुझे पाती लिखना …………………………………….।।1।।
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nकैसा होगा पावन पन्ना, कैसे होंगे अनुपम अक्षर
nकोमल अंगुलि में थाम जिसे, तुम पढ़ा करोगे पहर-पहर,
nकैसे खुश होंगे रूठ गये, क्या प्रभु मेरी नादानी से –
nमुझे पाती लिखना ……………………………………..।।2।।
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nअपनी प्रिय विषयवस्तु बतला दो, सच्चे प्रभु त्रिभुवन-साँईं
nक्या कहाँ रखूँगा, कितनी होगी  प्रेम-पत्र की लम्बाई,
nकब प्रभु अंतरतम जुड़ जायेगा सच्चे अवढर दानी से –
nमुझे पाती लिखना …………………………………….।।3।।
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nदृग-गोचर होंगे क्या न देव, कब तक लुक-छिप कर खेलोगे
nइस मंद भाग्य को क्या न कभीं करूणेश ! गोद में ले लोगे
n‘पंकिल’ मानस को मथा करोगे, अपनी प्रेम-मथानी से –
nमुझे पाती लिखना …………………………………….।।4।।
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nअन्य चिट्ठों की प्रविष्टियाँ —
n# करुणावतार बुद्ध – 7…..  (सच्चा शरणम)

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