हे देव तेरा गुणगान मेरे..

n

n

nदिनचर्या तेरी मेरी सेवा हो
nकुछ ऐसी कमाई हो जाये।
nहे देव तेरा गुणगान मेरे
nजीवन की पढ़ाई हो जाये।।
n
nयह जग छलनामय क्षण भंगुर
nखिल कर झड़ जाते फूल यहाँ।
nअनूकूल स्वजन भी दुर्दिन में
nहो जाते हैं प्रतिकूल यहाँ।
nमेरे जीवन का सब कर्ता-धर्ता
nसच्चा साँई हो जाये-
nहे देव तेरा गुणगान 0……………………………।।1।।
n
n
nहे नाथ मदन के घातों से
nमेरा उर-भवन हुआ जर्जर।
nकैसे इस मलिन कुटिल उर में
nतुम बस सकते सच्चे गुरूवर।
nतेरे निवास के योग्य हृदय की
nनाथ सफाई हो जाये-
nहे देव तेरा गुणगान 0……………………………।।2।।
n
nवैसे तो लाख अभावों में
nरोया, चिल्लाया, सिर पटका।
nपर हे प्राणेश अभाव तुम्हारा
nकभीं न इस उर में खटका।
nअपने प्रभु से बिछुड़ा कब से,
nयह सोच रूलाई हो जाये-
nहे देव तेरा गुणगान 0……………………………।।3।।
n
nविलखना सिखा दो विश्वनाथ
nअपने वियोग की पीड़ा में।
nमत भटकाओ भगवान हमें
nजग की छलनामय क्रीड़ा में।
n‘पंकिल’ उर में फिर से भोले
nबचपन की अवाई हो जाये-
nहे देव तेरा गुणगान 0……………………………।।4।।

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *