Sale!

Bole Gira Gambhir

बोले गिरा गँभीर संत शिरोमणि, युग परिवर्तक श्री सच्चा बाबा महाराज की वाणियों का काव्यमय भावानुवाद है। संत श्री सच्चा बाबा ’श्री सच्चा आश्रम, अरैल, प्रयाग में गंगा यमुना संगम के पास रहते थे। उनकी वाणियाँ स्वयं में वेद-ऋचाओं से अर्थ-गर्भी तत्त्व परिनिष्ठ और नयनोन्मीलक हैं। आप समय के द्रष्टा और क्रांतिकारी परिवर्तक संत हैं। उनकी वाणियों का यह विश्लेषण समय-समय पर जैसे वसंत पंचमी जिसे वे परिवर्तन की तिथि कहते थे, शिवरात्रि जिसे वे स्वात्मावबोध की तिथि कहते थे, गुरुपूर्णिमा जिसे वे आत्मानुशीलन की तिथि कहते थे और कृष्ण जन्माष्टमी जिसे वे भगवतावतरण की तिथि कहते थे, पर दिए गए प्रवचनों का सार संक्षेप है। राम नवमी, चैतन्य जन्मोत्सव, यज्ञायोजन एवं भारतीय तत्त्वान्वेषी विद्यार्थियों के बीच भी उनके प्रबोधनों ने अमृत तुल्य कार्य किया है। यह बोले गिरा गँभीर काव्य रचना उन्हीं तत्त्वदर्शी ऋषि की वाणियों का आलोड़न एवं अनुशीलन है जो नितान्त स्वांतः सुखाय है और इसका प्रकाशन परोपकाराय ही उद्घाटित हुआ है।

Description

बोले गिरा गँभीर संत शिरोमणि, युग परिवर्तक श्री सच्चा बाबा महाराज की वाणियों का काव्यमय भावानुवाद है। संत श्री सच्चा बाबा ’श्री सच्चा आश्रम, अरैल, प्रयाग में गंगा यमुना संगम के पास रहते थे। उनकी वाणियाँ स्वयं में वेद-ऋचाओं से अर्थ-गर्भी तत्त्व परिनिष्ठ और नयनोन्मीलक हैं। आप समय के द्रष्टा और क्रांतिकारी परिवर्तक संत हैं। उनकी वाणियों का यह विश्लेषण समय-समय पर जैसे वसंत पंचमी जिसे वे परिवर्तन की तिथि कहते थे, शिवरात्रि जिसे वे स्वात्मावबोध की तिथि कहते थे, गुरुपूर्णिमा जिसे वे आत्मानुशीलन की तिथि कहते थे और कृष्ण जन्माष्टमी जिसे वे भगवतावतरण की तिथि कहते थे, पर दिए गए प्रवचनों का सार संक्षेप है। राम नवमी, चैतन्य जन्मोत्सव, यज्ञायोजन एवं भारतीय तत्त्वान्वेषी विद्यार्थियों के बीच भी उनके प्रबोधनों ने अमृत तुल्य कार्य किया है। यह बोले गिरा गँभीर काव्य रचना उन्हीं तत्त्वदर्शी ऋषि की वाणियों का आलोड़न एवं अनुशीलन है जो नितान्त स्वांतः सुखाय है और इसका प्रकाशन परोपकाराय ही उद्घाटित हुआ है।

 

 

Reviews

There are no reviews yet.

Add a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *