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  • मुरली तेरा मुरलीधर 1

    विरम विषम संसृति सुषमा में मलिन न कर मानस मधुकर,
    वहां स्रवित संतत रसगर्भी सच्चा श्री शोभा निर्झर !
    सुन्दरता सरसता स्रोत बस कल्लोलिनी कुलानन्दी
    टेर रहा वृन्दावनेश्वरी मुरली तेरा मुरलीधर !! 1 !!

    वर्ण वर्ण खग कलरव स्वर में बोल रहा है वह मधुकर
    विटप वृंत मरमर सरि कलकल बीच उसी का स्वर निर्झर
    उर अंबर में बोध प्रभा का उगा वही दिनमान प्रखर
    टेर रहा है विश्वानंदा मुरली तेरा मुरलीधर ।।2।।

    संसृति सब सच्चे प्रियतम की उससे भाग नहीं मधुकर
    उसमें जागृति का ही प्रेमी बन जा अनुरागी निर्झर
    जो जग में जागरण सजाये वही मुकुन्द कृपा भाजन
    टेर रहा संज्ञानसंधिनी मुरली तेरा मुरलीधर ।।3।।

    जिस क्षण जग में हुए सर्वथा तुम असहाय अबल मधुकर
    उस क्षण से ही क्षीर पिलाने लगती कृष्ण धेनु निर्झर
    अपना किये न कुछ होना है सूत्रधार वह प्राणेश्वर
    टेर रहा अबलावलंबिनी मुरली तेरा मुरलीधर।।4।।

    छोटी से छोटी भेंटें भी प्रिय की ही पुकार मधुकर
    मुदित मग्न मन नाच बावरे पाया प्रिय दुलार निर्झर
    कहां पात्रता थी तेरी यह तो उसकी ही महाकृपा
    टेर रहा अप्रतिमकृपालुनि मुरली तेरा मुरलीधर।।5।।

    नाम रूप पद बोध विसर्जित कर सच्चामय बन मधुकर
    मनोराज्य में ही रम सुखमय झर झर झर झरता निर्झर
    सच्चे प्रियतम के कर में रख पंकिल प्राणों की वीणा
    टेर रहा अमन्दगुंजरिता मुरली तेरा मुरलीधर।।6।।

    यत्किंचित जो भी तेरा है उसका ही कर दे मधुकर
    करता रहे तुम्हें नित सिंचित प्रभुपद कंज विमल निर्झर
    मलिन मोह आवरण भग्न कर करले प्रेम भरित अंतर
    टेर रहा हे भुवनमोहिनी मुरली तेरा मुरलीधर।।7।।

    मनोराज्य में देख पुश्पिता उसकी तरुलतिका मधुकर
    उसकी मनहर भावभरी भ्रमरी तितली सरणी निर्झर
    स्नेह सुरभि बांटता सलोना मनभावन बंशीवाला
    टेर रहा है अमृतसंश्रया मुरली तेरा मुरलीधर।।8।।

    तुम्हें पुकार मधुर वाणी में बार बार मोहन मधुकर
    कर्णपुटों में ढाल रहा है वह आनन्दामृत निर्झर
    कहां गया संबोधनकर्ता विकल प्राण कर अन्वेषण
    टेर रहा है आत्मविग्रहा मुरली तेरा मुरलीधर।।9।।

    रंग रंग की राग रागिनी छेड बांसुरी में मधुकर
    बूंद बूंद में उतर प्रीति का सिंधु बन गया रस निर्झर
    तुम्हें बहुत चाहता तुम्हारा वह प्यारा सच्चा प्रियतम
    टेर रहा सरसारसवंती मुरली तेरा मुरलीधर।।10।।