![]() |
Photo source : Google |
दियवा कै दीयै भर रहलैं रे सजनी।
मिरिगा जतन बिन बगिया उजरलैं
कागा बसमती ले परइलैं रे सजनी॥
सेमर चुँगनवाँ सुगन अझुरइलैं
रुइया अकासे उधिरइलीं रे सजनी।
साजत सेजियै भइल भिनुसहरा
अँगना-ओसरिया में डुहुरैं दुलुरुवा
अन बिन मुँह कुम्हिलइलैं रे सजनी।
सुधियो ना लिहलैं सजन निरमोहिया
अखियौ कै लोरवा सुखइलैं रे सजनी॥
बिरथा तूँ बिलखैलू धनि बउरहिया
पिया अँखपुतरी बनइहैं रे सजनी।
उनहीं की सुधिया में रहु धिया लटपट
पंकिल जियरा जुड़इहैं रे सजनी॥
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ... आशा है नया वर्ष न्याय वर्ष नव युग के रूप में जाना जायेगा।
ReplyDeleteब्लॉग: गुलाबी कोंपलें - जाते रहना...