ऐसा यत्न करो आँखों से मन मत बिगड़े।
मौन साध नासाग्र दृष्टि रख नाम सम्हालो
मन छोटा मत करो काम कल पर मत टालो।
उसे पुकारो उसे रात दिन का हिसाब दो
रहो जागते दुरित दोष का गला दाब दो
पत्थर मार रहे उसके बदले गुलाब दो।
सर्जक बनो न रचना दुःखान्तक खराब दो
’पंकिल’ इस दुनिया को जीवन से जवाब दो।
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