पीसत जतवा जिनिगिया सिरइलीं दियवा कै दीयै भर रहलैं रे सजनी। मिरिगा जतन बिन बगिया उजरलैं कागा…
O Majhi Re: Dipankar Das Source: Flickr माझी रे! कौने जतन जैहौं पार। जीरन…
अनासक्त सब सहो जगत के झंझट झगड़े ऐसा यत्न करो आँखों से मन मत बिगड़े। मौन साध नासाग्र दृष्टि…
पट खटका खटका पीडा देती सन्देश तुम्हे मधुकर बौरे निशितम मे भी तेरा जाग रहा प्रियतम निर्झर…