मुरली तेरा मुरलीधर 47
खिल हँसता सरसिज प्रसून तूँ रहा भटकता मन मधुकर डाली सूनी रही रिक्त तू खोज न सका कमल निर्झर विज्ञ न था निकटतम धुरी यह तेरी ही मधुर सुरभ...
खिल हँसता सरसिज प्रसून तूँ रहा भटकता मन मधुकर डाली सूनी रही रिक्त तू खोज न सका कमल निर्झर विज्ञ न था निकटतम धुरी यह तेरी ही मधुर सुरभ...