निज प्रियतम के विशद विश्व में और न कुछ करना मधुकर निरुद्देश्य उसके गीतों को झंकृत कर…
गाने आया जो अनगाया गीत अभी तक वह मधुकर वीण खोलते कसते ही सब बासर बीत गये…
भू लुण्ठित हो धूलिस्नात हो जाय न जब तक तन मधुकर। वह निज कर में ले दुलराये…
निज प्रियतम के विशद विश्व में और न कुछ करना मधुकर निरुद्देश्य उसके गीतों को झंकृत कर…
गाने आया जो अनगाया गीत अभी तक वह मधुकर वीण खोलते कसते ही सब बासर बीत गये…
भू लुण्ठित हो धूलिस्नात हो जाय न जब तक तन मधुकर। वह निज कर में ले दुलराये…