वह इच्छुक है सुनने को तेरे गीतों का स्वर मधुकर आ आ मुख निहार जाता है नीर…
तुम गुरु स्वयं शिष्य मन तेरा प्रथम सुधारो मन मधुकर जग सुधार कामना मत्त मत जग में…
वह इच्छुक है सुनने को तेरे गीतों का स्वर मधुकर आ आ मुख निहार जाता है नीर…
तुम गुरु स्वयं शिष्य मन तेरा प्रथम सुधारो मन मधुकर जग सुधार कामना मत्त मत जग में…