मुरली तेरा मुरलीधर - 42
वह इच्छुक है सुनने को तेरे गीतों का स्वर मधुकर आ आ मुख निहार जाता है नीर नयन में भर निर्झर सरस तरंगित उर कर अपना बाँट रहा आनन्द विभव टेर...
वह इच्छुक है सुनने को तेरे गीतों का स्वर मधुकर आ आ मुख निहार जाता है नीर नयन में भर निर्झर सरस तरंगित उर कर अपना बाँट रहा आनन्द विभव टेर...
तुम गुरु स्वयं शिष्य मन तेरा प्रथम सुधारो मन मधुकर जग सुधार कामना मत्त मत जग में करो गमन निर्झर । करता विरत कृष्ण-चिन्तन से जगत राग द्वेष...