मौन बैठे हो क्यों मेरे अशरण शरण..
मौन बैठे हो क्यो मेरे अशरण शरण। इस अभागे को क्या मिल सकेगा नहीं, हे कृपामय तेरा कमल-कोमल-चरण। मौन बैठे हो क्यो मेरे अशरण शरण।
मौन बैठे हो क्यो मेरे अशरण शरण। इस अभागे को क्या मिल सकेगा नहीं, हे कृपामय तेरा कमल-कोमल-चरण। मौन बैठे हो क्यो मेरे अशरण शरण।
दिनचर्या तेरी मेरी सेवा हो कुछ ऐसी कमाई हो जाये। हे देव तेरा गुणगान मेरे जीवन की पढ़ाई हो जाये।। यह जग छलनामय क्षण भंगुर खिल कर झड़ ज...
सहनशील रजकण प्रशान्त बन प्रभुपथ में बिछ जा मधुकर किसी भाँति उसके पदतल मे ललक लिपट लटपट निर्झर प्राणकुंज के सुमन में सुन उसकी मनहर बोली ट...
निज प्रियतम के विशद विश्व में और न कुछ करना मधुकर निरुद्देश्य उसके गीतों को झंकृत कर देना निर्झर पंकिल भर देना निज कोना बहा गीतधारा प्र...
गाने आया जो अनगाया गीत अभी तक वह मधुकर वीण खोलते कसते ही सब बासर बीत गये निर्झर सही समय आया न सज सके उचित शब्दसंभार कभी टेर रहा समयानुकूल...
भू लुण्ठित हो धूलिस्नात हो जाय न जब तक तन मधुकर। वह निज कर में ले दुलराये तेरा लघुप्रसून निर्झर विलख भले सुरभित न किन्तु वह पदसेवा से करे ...
वह इच्छुक है सुनने को तेरे गीतों का स्वर मधुकर आ आ मुख निहार जाता है नीर नयन में भर निर्झर सरस तरंगित उर कर अपना बाँट रहा आनन्द विभव टेर...
तुम गुरु स्वयं शिष्य मन तेरा प्रथम सुधारो मन मधुकर जग सुधार कामना मत्त मत जग में करो गमन निर्झर । करता विरत कृष्ण-चिन्तन से जगत राग द्वेष...