नृप बनने के बाद जनों ने पूछा यही हसन से बात । पास न सेना विभव बहुत, कैसे सुलतान हुए तुम तात । बोला अरि पर भी उदारता सच्चा स्नेह ...
नृप बनने के बाद जनों ने पूछा यही हसन से बात ।
पास न सेना विभव बहुत, कैसे सुलतान हुए तुम तात ।
बोला अरि पर भी उदारता सच्चा स्नेह सुहृद हित प्राप्त ।
जन-जन प्रति सदभाव न क्या सुलतान हेतु इतना पर्याप्त ।
सुन्दर...
ReplyDeleteअति सुंदर.
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत खूब,
ReplyDeleteनित करो जो तुम परहित के काज।
तो सच मानो सुल्तान हो आज।
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ...
ReplyDeleteआप सबको होली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ...