व्रजमंडल नभ में उमड़-घुमड़ घिर आए आषाढ़ी बादल । उग गया पुरंदर धनुष ध्वनित उड़ चले विहंगम दल के दल । उन्मत्त मयूरी उठी थिरक श्यामली निरख नीरद म...
व्रजमंडल नभ में उमड़-घुमड़ घिर आए आषाढ़ी बादल ।
उग गया पुरंदर धनुष ध्वनित उड़ चले विहंगम दल के दल ।
उन्मत्त मयूरी उठी थिरक श्यामली निरख नीरद माला ।
कर पर कपोल रखा निभृत कुञ्ज में अश्रु बहाती ब्रजबाला ।
मृदु कीर गर्भ पांडुर कपोल पर बिखर गयी कज्जल रेखा ।
विरहिणी राधिका उठी चीख जब जलद कृष्णवर्णी देखा ।
घनश्याम पधारो बिलख रही बावरिया बरसाने वाली ।
क्या प्राण निकलने पर आओगे जीवन वन के वनमाली ॥
उग गया पुरंदर धनुष ध्वनित उड़ चले विहंगम दल के दल ।
उन्मत्त मयूरी उठी थिरक श्यामली निरख नीरद माला ।
कर पर कपोल रखा निभृत कुञ्ज में अश्रु बहाती ब्रजबाला ।
मृदु कीर गर्भ पांडुर कपोल पर बिखर गयी कज्जल रेखा ।
विरहिणी राधिका उठी चीख जब जलद कृष्णवर्णी देखा ।
घनश्याम पधारो बिलख रही बावरिया बरसाने वाली ।
क्या प्राण निकलने पर आओगे जीवन वन के वनमाली ॥
आपका स्वागत है.
ReplyDeleteअति सुंदर रचना भानकर रचना उम्दा शब्दों से सजी रचना भावः पूर्ण रचना मज़ा आ गया स्वागत है मेरे ब्लॉग पर पधारने का आमंत्रण है
ReplyDeleteAap ka swagat hai tatha aapke pitashri ki rachanao ko sab tak pahuchane ka aap ka bhaav abhinandniy hai | Mere blog par padharne ke saharsh aamantran ke saath......http://gaurishevatekar.blogspot.com,
ReplyDeletehttp://shevatekar.blogspot.com
घनश्याम पधारो बिलख रही बावरिया बरसाने वाली ।
ReplyDeleteक्या प्राण निकलने पर आओगे जीवन वन के वनमाली ॥
Achi lagi aapke Pitaji ki kavita. Swagat mere blog par bhi.
खूबसूरत.
ReplyDeletePitajeeke kaamko aage lake aapne hame bohot achha mauqa diya hai. Shubhkamnaon sahit swagat hai...mere blogpe aakeke liye snehsahit aamantran..
ReplyDeleteKavita behad khoobsoorteese rachi gayi hai, isse adhik kehna soorajko raushni dikhane jaisa hoga...
Phir ekbaar wahee rachnaa padhee...phir kuchh naya dikha...harbaar kuchh naya ehsaas hota hai, har shabd maynose koot kootke bhara hai...
ReplyDelete" Kay paran nikalnepe aoge jeevanke vanmaalee..? Kaisee aart pukaar hai is birhankee??
bahut sundar.
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