मौन बैठे हो क्यो मेरे अशरण शरण। इस अभागे को क्या मिल सकेगा नहीं, हे कृपामय तेरा…
दिनचर्या तेरी मेरी सेवा हो कुछ ऐसी कमाई हो जाये। हे देव तेरा गुणगान मेरे जीवन की…
सहनशील रजकण प्रशान्त बन प्रभुपथ में बिछ जा मधुकर किसी भाँति उसके पदतल मे ललक लिपट लटपट…
निज प्रियतम के विशद विश्व में और न कुछ करना मधुकर निरुद्देश्य उसके गीतों को झंकृत कर…
गाने आया जो अनगाया गीत अभी तक वह मधुकर वीण खोलते कसते ही सब बासर बीत गये…
भू लुण्ठित हो धूलिस्नात हो जाय न जब तक तन मधुकर। वह निज कर में ले दुलराये…